ज्यू त ब्वनू च: ‘खुद’ अर ‘खैरि’ की डैरि – -आशीष सुन्दरियाल
संसार की कै भि बोली-भाषा का साहित्य की सबसे बड़ी सामर्थ्य होंद वेकी संप्रेषणता अर साहित्य की संप्रेषणता को सबसे बड़ों कारण होंद वे साहित्य
संसार की कै भि बोली-भाषा का साहित्य की सबसे बड़ी सामर्थ्य होंद वेकी संप्रेषणता अर साहित्य की संप्रेषणता को सबसे बड़ों कारण होंद वे साहित्य
”गढ़वाली भाषा अर साहित्य कि विकास जात्रा” गढ़वाली साहित्य मा एक मील स्तंभ च – भीष्म कुकरेती आज विशेष्यगुं जमानु च, बड़ी जनसंख्या कि भाषाइ
मयळ्दु मनै मंथा मा खिल्दु बाळो बसन्त छ ‘फाग्णै- फिक्वळि’ – आशीष सुन्दरियाल साहित्य मूलतः मन अर मन का भावों को विषय छ। ब्वलीं बात
पुस्तक:खैंचाताणि (कविता संग्रह) कवि: वीरेन्द्र जुयाल ‘उपिरि’ प्रकाशक: रावत डिजिटल समीक्षक: आशीष सुन्दरियाल जनसामान्य का मनै वाणी च “खैंचाताणि” एक सामान्य व्यक्ति को जीवन –
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